ओ रास बिहारी मैं जाऊ बलहारी,
देखा तो बस देखती रह गई बड़ी सुंदर छवि ये प्यारी,
ओ रास बिहारी मैं जाऊ बलहारी,
मन अटका तेरी लटकन पे मोर मुकट पे मर गई मैं,
तेरे काले नैनो के सागर में श्याम उतर गई मैं,
पार जिगर के हो गई कान्हा तेरी तिर्शी नैन कटारी,
ओ रास बिहारी मैं जाऊ बलहारी,
एक झलक देखि तेरी तो पलक जप्कना भूल गई,
सरक गया सिर से पलु तो सिर पे रखना भूल गई,
जाऊ इस मुस्कान के सदके कान्हा जिसपे मैं दिल हारी,
ओ रास बिहारी मैं जाऊ बलहारी,
चाल चली तेरी चल ने एसी पीछे तेरे हो ली मैं,
तेरे छलावे में ओ छलियाँ आ गई मन की भोली मैं,
रोक रही थी सखियाँ मुझको हां मेरी मति गई मारी,
ओ रास बिहारी मैं जाऊ बलहारी,