महिमा दरबार की क्या बखानू दादी,
तेरे चरणों पे जाऊ बलिहारी दादी,
महिमा दरबार की क्या बखानू दादी,
लाखो आये दर पे तेरे दुखड़े तूने मिटाये,
तेरे पर्चे दुनिया को सुनाऊ दादी,
तेरे चरणों पे जाऊ बलिहारी दादी,
कोई चुनार लाल उड़ावे,
चूड़ा कोई पहनावे,
मैं तो भाव की भेट चड़ाउ दादी,
तेरे चरणों पे जाऊ बलिहारी दादी,
शृंगार तेरा प्यारा सलोना,
रूप का तेरे क्या कहना,
तेरे दर्शन मैं रोज ही पाउ दादी,
तेरे चरणों पे जाऊ बलिहारी दादी,
ना जानू मैं जप तप साधन,
ना जणू कैसी भक्ति,
मीठे भजनो से तुम को रिजाऊ दादी,
तेरे चरणों पे जाऊ बलिहारी दादी,