दादी थारो मुखडो चाँद को टुकड़ो

दादी थारो मुखडो चाँद को टुकड़ो जाको कोई न जवाब रे,
आंख्या काजल कारो लागे घणो प्यारो थारो रूप लाजवाब रे,
लूँ राई वारा नजर उतारा,
चाँद तारा छोड़ मैं तो थाने ही निहारा,
लूँ राई वारा नजर उतारा,

रात चांदनी यु चम चम चमके माथे वाली बिंदियां,
मनमोहन मुस्कान थारी ले गई मोरी निन्दियाँ,
तन मन वारु तोहे मैं निहारु कोई सुध बुध आज रे,
लूँ राई वारा नजर उतारा,

काना वाली लहरावे जो आया झूमता संवलियो,
नाक नथनी लागे प्यारी रूप घणो मन भावनियो,
बाजू बंध सोवे चुड़लो मन मोहे,जाको कोई न हिसाब रे,
लूँ राई वारा नजर उतारा,

लाल सुरंगी चुनर सारी जगवा पे लहरावे,
संकट काटे भगता का और झट से काम बनावे,
जोगी गुण गावे थाने ही रिजावे थारे हाथा में लाज रे,
लूँ राई वारा नजर उतारा,
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