ॐ जय नागोवाली,
मैया जय नागोवाली॥
जो भी दर पे आये, जाए ना खाली॥
ॐ जय नागोवाली॥
तिरुमलगिरी मैं बन्यो देवरों,
शोभा अति प्यारी,
हो मैया शोभा अति प्यारी।
दर्शन करने थारे, आवै नर नारी॥
ॐ जय नागोवाली॥
कंठन पर जड़ाऊ हर थारे, टीको मस्तक पर।
नाक पर थारे नथनी, बाली काना पर॥
ॐ जय नागोवाली॥
धेनु दूध को भोग लगावा, नारियल भेंट धरा॥
छप्पन प्रकार का व्यंजन, थारी मनोहार करां॥
ॐ जय नागोवाली॥
ढोल, मृदंग, घडियावल बाजै॥
नौबत, द्वार सजे,
थारे नाम का डंका चारो ओर बजे।
ॐ जय नागोवाली॥
भांति-भांति का आवे फरियादी,
थासू अरज करे, जो कोई शरण मे आवे उसकी विपदा हरे॥
ॐ जय नागोवाली।।
निस दिन थारी करां आरती, थे हो लखदातार,
भक्त भी मैया दास तिहारो, भरया रखो भंडार॥
ॐ जय नागोवाली ॥
नागोवाली माँ की आरती जो कोई नर गावै, जो सुंदर गावै॥
बांके पाप उतर जावे, बाँके घर लक्ष्मी आवे,
कहत शिवानंद स्वामी, कहत हरिहर स्वामी, सुख सम्पति पावे॥
ॐ जय नागोवाली॥
प्रदीप शर्मा
सरिया, गिरिडीह
झारखंड।।
8340519841