मैं चिठियााँ,,,, हो मैं चिठियााँ,,,,
मैं चिठियााँ लिख लिख हारी,
कब आओगे बाबा पौणाहारी,
हो नाथ कब आओगे, बाबा कब आओगे ,
पहले जै बाबे दी लिखा है ll
फिर चरणों में प्रणाम लिखा है ll
मैंने चिठियााँ पे, चिठियााँ डाली,
हो नाथ कब आओगे, बाबा कब आओगे ll
मैं चिठियााँ लिख लिख,,,,,,,,,,,,,,,,,
दूजी चिठ्ठी में यह लिख डाला ll
घर आओ मेरे रत्नो के लाला ll
तेरे भगतो ने, बाट निहारी,
हो नाथ कब आओगे, बाबा कब आओगे ll
मैं चिठियााँ लिख लिख,,,,,,,,,,,,,,,,,
अब चिठियााँ, और ना लिखेंगे ll
टेलीफोन या, फैक्स अब करेंगे ll
हम डायरेक्ट, बात करेंगे,
हो नाथ कब आओगे, बाबा कब आओगे ll
मैं चिठियााँ लिख लिख,,,,,,,,,,,,,,,,,
बाबा भगतो को भूल ना जाना ll
दुनियााँ मारेगी हमको ताहना ll
हँसी होगी, जग में तुम्हारी,
हो नाथ कब आओगे, बाबा कब आओगे ll
मैं चिठियााँ लिख लिख,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
धुन- ऐ थेवा मुँदरी दा थेवा
अपलोड कर्ता- अनिल रामूर्ति भोपाल बागहिओ वाले