कहती है विष्णो माँ,
जिस माँ ने तुझे जनम दिया, पाल पोस कर बड़ा किया,
पहले उसकी पूजा कर, फिर मेरा ध्यान लगा।
जय जय अम्बे जय जगदम्बे, जय जय भोली माँ
जय जय माँ, भोली माँ
मुझ से बड़ा है रुतबा उसका, जिसने दूध पिलाया है।
पकड़ के तेरी उंगली जिसने, चलना तुझे सिखाया है।
काँटा भी न चुब्ने दिया कभी माँ ने तेरे पावों में,
धुप सही खुद रखा तुझको ममता की ठंडी छावों में।
माँ की पहले सेवा कर, फिर मेरी जोत जगा॥
जिसके संग दुआ हो माँ की, मेरी दया वो पायेगा।
खुश रख तू अपनी माँ का दिल, दिल मेरा खुश हो जायेगा।
मैं तुझ को जो देतीं हूँ, तेरी माँ ही तुझ को दिलाती है,
जननी माँ की बात तो मुझसे भी ना ताली जाती है।
माँ को निवाला दे पहले, फिर मुझको भोग लगा॥
लाख करा जगराते मेरे, चौंकियां रोज़ करा ले।
मिलेगी ना ममता मेरी, दिल माँ का तोड़ने वाले।
ना मंजूर चढ़ावा तेरा ना कबूल अरदास तेरी,
किसी जनम में भी ना पूरी होगी कोई आस तेरी।
वो मेरा क्या होगा जो, अपना माँ का न हुआ सदा॥