बंशी बजाय गयो श्याम री मोसे नैना मिला के,
दिल में समाय गयो श्याम री मोसे नैना मिला के ॥
मथुरा से वृंदावन आके,
निर्दयी छलिया ने चैन चुराके,
मोरी निंदिया उड़ाय गयो श्याम री मोसे नैना मिला के ॥
जादू कर गई उसकी अँखियाँ ,
राह रोक मोरी पकड़ी बहियाँ ,
मोरी मटकी गिराय गयो श्याम री मोसे नैना मिला के ॥
लूटा मोर मुकुट की छटा ने ,
उन केशों की इंद्रघटा ने ,
मोपे बिजली गिराय गयो श्याम री मोसे नैना मिला के ॥
श्याम नाम की ओढ़ी चुनरिया,
श्याम की चूड़ी श्याम की बिंदिया,
रास रचाय गयो श्याम री मोसे नैना मिला के ॥