मेरी मईया है जग से निराली फिर भी झोली मेरी क्यों है खाली,
मेरी विनती सुनो दुर्गे मइयां तेरी चौकठ से जाऊ न खाली,
मैंने आस की ज्योत जलाई हो मेरे मन है माँ तू समाई,
आज आया हु बन के सवाली तेरी चौकठ से जाऊ न खाली,
मेरी मईया है जग से निराली फिर भी झोली मेरी क्यों है खाली,
गम की काली घटा ऐसी छाई सारी दुनिया लगे है पराई,
तेरे सजदमे माँ शेरा वाली मेरी अर्जी सुनो मेहरा वाली,
मेरी मईया है जग से निराली फिर भी झोली मेरी क्यों है खाली,