माई अष्ट भुजा वाराहनी हो मां ,
प्रथम हाथ में ढाल लिए दूजे तलवार,
तीजे लिए सिरोही चौथे में कटार ॥
माई अष्ट भुजा वाराहनी हो मां ॥
पँचवे गदा सम्हारे रे छठवें त्रयशूल,
सातव पकड़े दुश्मन आठव दिए हूल ।
माई अष्ट भुजा वाराहनी हो मां ॥
चढ़ी सिंह देवी गरजे रे बांधे हथियार,
कौन बीर है रण में जो ठाने रार ।
माई अष्ट भुजा वाराहनी हो मां ॥
पापी बधे अनेकों रे दुर्गा दसभाल ।
अभिमानी नहीं छोड़े कर दिए हलाल ।
माई अष्ट भुजा वाराहनी हो मां ॥
कृष्ण उतारे माँ की आरति रे भरि कंचन थार ।
सुरपति चँवर डुलावें कालों की काल ।
माई अष्ट भुजा वाराहनी हो मां ॥
By; Yogesh Tiwari