माँ अक्षर कितना प्यारा माँ से सुख मिलता सारा,
माँ अक्षर फिर ना होता तो माँ न कहता ये जग सारा,
माँ अक्षर से मंदिर बनता माँ से माथा झुकता है,
माँ से सबका मंगल होता माँ से सब कुछ मिलता है,
माँ अक्षर से मांगो माँ से माँ से मंगता ये जग सारा,
माँ अक्षर कितना प्यारा माँ से सुख मिलता सारा,
माँ से मोहन माँ से मथुरा माँ से मुरली मनोहर है,
माँ से मोहनी मूरत माँ की माँ से माखन मिशरी है,
माँ अक्षर से मोर मुकट है लगता है सिर पे प्यारा,
माँ अक्षर कितना प्यारा माँ से सुख मिलता सारा,
माँ से मान माँ से मधुरता माँ से माँ की ममता है,
माँ से मान श्री मर्यादा माँ से मिलती मोती है,
माँ से माँ के लाल सभी है योगी इशान जीत प्यारा,
माँ अक्षर कितना प्यारा माँ से सुख मिलता सारा,