युगा तो विच जालंधर वसदी माँ सुन तरले गरीबा दे,
दुनिया दे ठुकाराया दी फड़ ली बाह सुन तरले गरीबा दे,
बेचैनी विच हर पल लंगदा चैन न जिंदगी पावे,
दया दी मूरत हो के क्यों माँ तरस न तनु आवे,
झुलस रहा कर महरा दी छा,
सुन तरले गरीबा दे
हूँ ता वैरी हो गया लगदा अपना ही परशावा,
तू ता सहारा देके सिद्ध कर मावा ठंढियां छावा,
हर सास साडा जपदा तेरा ना,
सुन तरले गरीबा दे
अखियां वगड़े हंजुया नाल धोये चरण तेरे,
तू गंगा निर्दोष प्यार दी धो छड़ दुःख दे हनेरे,
वध वक्ता नु लोड तेरी हर था,
सुन तरले गरीबा दे