बनकर तेरी श्याम दीवानी

बनकर तेरी श्याम दीवानी, सुध बुध बिसरा बैठी हूँ
चाहे जो कह ले दुनिया तुम्हें अपना बना बैठी हूँ

मैंने छोड़ दिया जग सारा, मुझे और नही कोई प्यारा
सब तोड़  के झूठे  बंधन तेरे दर पर  आ बैठी हूँ

तेरे चरणो की ये दासी, तेरे दर्शन की है प्यासी
कब दोगे दर्शन प्यारे, उम्मीद लगा बैठी हूँ
बनकर तेरी श्याम दीवानी...

मोहे श्याम मिलन की धुन है, मोहे श्याम मिलन की धुन है
राधा ने सांवर पायो, मीरा ने गिरधर पायो
फिर में भी क्यों न पाउ, राधा मीरा बन जाऊं
पैरो में पहन कर घुंगरू, मैं झूमू नाचू गाउँ
हिर्दय मैं बसा कर तुमको तेरी लगन लगा बैठी हूँ
बनकर तेरी श्याम दीवानी ...

कवि एवं गायक : दीपक जी कृष्ण दास
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