मैं तुम्हे कभी तो पाऊँगी

मैं तुम्हे कभी तो पाऊँगी,
मेरे जन्मो के साथी सजन।

पग नूपुर्रो की झंकारो से,
भावो भरे मधुर इशारों से,
साँसों के पंखो से उड़ कर,
तारों तक खोज लगाउंगी।

योगन का वेष बना कर के,
इस जग से आँख बचा कर के,
मन के इक तारे पर साजन,
मैं गीत विरह के गाऊँगी।

तुम छिप ना राधा के मन में,
मधुवन की रंगीली कुंजन में,
मैं बन कर ललिता की वीणा,
थिर्कों पर तुम्हे नचाउंगी।

आशा लागी मिलन की,
मेरे जनम जनम के मीत,
अपने मोहन लाल सों,
छन छन बाड़े प्रीत,
लगे जग खारा खारा,
लगी खोजने कुञ्ज कुञ्ज,
अब नैनं बहे धरा,
मेरा हृदय बनादो, सरस छबीले
हरी बंधाओ धीर,
मिलन की लागी आशा

मार्ग खाड़ी श्याम जी,
प्यारे तेरी निहारूं बाट
आजाओ बांकी पिया,
मेरे प्राण आधार
नयन की सवर्निम आशा
समझे तुम बिन कौन,
विरह की बिखरी आशा
आजाओ बांके पिया,
भक्त मन चोर कन्हिया
डूब रही मझदार में, मेरी पुरानी नैया
मन के राजा आ मेरे सगरे बंधन काट,
मार्ग खाड़ी श्याम जी, तेरी निहारूं बाट।

आ श्याम सलोने मधुसूधन,
मन चोर मुरारी मशुसूधन,
एक प्रेम डोर बाँध हरी,
मन मंदिर में बिठलाऊंगी।
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