तेरे दर पे खड़ा इस दर पे मुझे,
मेरा हक़ तो जताने दे,
बात परदे की है इस परदे में तू आंसू तो बहाने दे,
तेरे दर पे खड़ा इस दर पे मुझे,
मेरे अपने हुये बेगाने हिरदये देख देख रोता है,
तेरी याद सताए हर पल रातो को नहीं सोता है,
जाने क्या मुझको होता है,
बात बस की नहीं होनी टलती नहीं आज दिल की सुनाने दे,
तेरे दर पे खड़ा इस दर पे मुझे,
करू सजदे कही कई सालो से उनका कोई असर नहीं है,
मुझको तो ऐसा लगदा ज़िंदगी में बसर नहीं,
बोल जियु मरू अब क्या मैं करू,
अपनी शरण में रहने दे,
तेरे दर पे खड़ा इस दर पे मुझे,
दौलत के नशे में दुनिया अपनों से दूर हो जाए,
ज़िंदगी के सपने टूट के फिर चकना चूर हो जाए,
रोज घुट घुट जियु कहा दिल की काहू मुझे फ़र्ज़ निभाने दे,
तेरे दर पे खड़ा इस दर पे मुझे,
रोज चिंता चित को जलाये मेरा दिल अनमोल हो गया है,
ये पहले जैसा रहा न अब डावा डोल हो गया है,
कहता मतानिअ बलराम रोज होके परशान,
दरबार में मरने दे तेरे दर पे खड़ा इस दर पे मुझे,