(तर्ज - दिल के झरोखे में)
पलकों की बगिया में तुमको बिठा कर,
भावों के भजनों से तुमको रिझा कर,
मैंने लगायी है आस...
बन के रहूं तेरा दास...
इंसा हूं मुझसे खताएं भी होंगी,
गलती हुयी तो सजाएं भी होंगी...
अगर साथ तुम हो तो रोकोगे मुझको,
सजदों की मेरे अताएं भी होंगी...
पलकों की बगिया में.....
आना पड़ेगा मेरी अर्जी पे तुमको,
पुकारूंगा जब भी कोई परेशानी होगी...
हारे के सहारे हो कहती है दुनिया,
जो आए न तुम तो फिर बदनामी होगी...
पलकों की बगिया में.....
अर्जी को मेरी तुम ठुकरा दो चाहे,
मैं कोई तुमसे ना शिकवा करुंगा...
आँखों में रहती है तस्वीर तेरी,
सारी उमर तेरी पूजा करुंगा...
पलकों की बगिया में.....
- रचनाकार
अमित अग्रवाल 'मीत'
मोबा. 9340790112