हर पल मुस्काता हु मैं मौज उड़ाता हु

हर पल मुस्काता हु मैं मौज उड़ाता हु,
क्यों तरसु खुशियों को मैं जो खाटू में आता हु,
हर पल मुस्काता हु मैं मौज उड़ाता हु,

किस्मत मेरे पीछे गुलाम सी चलती,
मेरी सारी बला ऊपर के ऊपर ही टलती,
इज्जत  की खाता हु मैं आंदन पाता हु,
क्यों तरसु खुशियों को मैं जो खाटू में आता हु,
हर पल मुस्काता हु मैं मौज उड़ाता हु,

छूटा रोना धोना मैं हस के जीता हु.
सुख का धरना बेहता अमृत सा पीता हु,
अपना मैं ले जाता हु,जो मांगू वो पाता हु,
क्यों तरसु खुशियों को मैं जो खाटू में आता हु,
हर पल मुस्काता हु मैं मौज उड़ाता हु,

जो खाटू में आये वो सदा ही मुस्काये,
फिर इसकी मोरछड़ी उस के सिर लहराए,
योगी बतलाता हु इसका दियां खाता हु,
क्यों तरसु खुशियों को मैं जो खाटू में आता हु,
हर पल मुस्काता हु मैं मौज उड़ाता हु,
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