माँगा है मैंने साई से वरदान एक ही,
तेरी किरपा बनी रही जब तक है ज़िंदगी,
माँगा है मैंने साई से वरदान एक ही,
जिसपर साई का हाथ था वो पार हो गया,
जो भी शरण में आ गया उधार हो गया,
जिसका भरोसा साई पर डूबा कभी नहीं,
माँगा है मैंने साई से वर्धन एक ही,
ऐसे दयालु साई से रिश्ता बनाइय,
मिलता है आप को जो कुछ भी चाहिए,
ईसा करिश्मा होगा जो हुआ नहीं,
माँगा है मैंने साई से वर्धन एक ही,
कहते है लोग ज़िंदगी किस्मत की बात है,
किस्मत बनाना भी मगर उसके ही हाथ है,
जिसके इशारे के बिना पता हिले भी नहीं,
माँगा है मैंने साई से वर्धन एक ही,