खाटू वालो श्याम रात सुपने में आगियो रे,
भाई रे मने जी सो आ गियो रे,
जैसे ही घर श्याम पधारा लागे था घर स्वर्ग से प्यारा,
कष्ट कलेश सभी महारा केलहा खा गया रे,
भाई रे मने जी सो आ गियो रे...
दीपक सो महारे मन में वल रहो,
रोम रोम माहरे फूल सो खिल रो,
महारी आगया आके तोसा मन सो छा जो रो,
भाई रे मने जी सो आ गियो रे,
और कहे बलजीत क्या भाई करके याद आँख भर आई,
जन्म जन्म की तृष्णा से मुक्ति सी पा गयो रे,
भाई रे मने जी सो आ गियो रे,