जय कामधेनु गैया, जय जय जय कपिला मैया |
तेरे कारन ग्वाल बनो नटनागर कृषण कन्हिया ||
नंदनी तू सागर की, नंदिगन की माता |
पंचगव्य अमृत की मैया तू है दाता ||
सिंह विराजत विष्णु और शीश पे तेरे ब्रह्मा |
भाल पे तेरे भोले शंकर, भगिनी तेरी राम ||
सिन्धु तेरे संग, जीब मे सरस्वती |
वेद चारों पाओ मे, कंठ तेरे पार्वती ||
गो मय मे है लक्ष्मी, गो मूत्र मे है गंगा |
मुख मे तेरे अग्नि, पूछ मे तेरे रम्भा ||