कठै जाऊ किनने जाके दुखड़ा सुनाऊ,
तू भी न सुने तो बाबा कौन ने सुनाऊ,
कठै और जाऊ ,
समजे सुने न कोई अर्ज लगाऊ,
तू भी न सुने तो कौने सुनाऊ,,
कठै जाऊ...
रिश्ता तो कई माहरा अपना न कोई,
मैं दीवाना दर्द न जानो मेरो कोई,
किन किन के आगे मैं अपनी झोली मैं बिशाऊ,
तू भी न सुने तो कौने सुनाऊ,,
कठै जाऊ...
दुनिया की बेठियो बेठियो बिगड़ी बनावे,
लिख्यो के भी विद्याता मेरे समज नहीं आवे,
मैं भी कोनिया चाहु तेरे आंसुड़ा बहाउ,
तू भी न सुने तो कौने सुनाऊ,,
कठै जाऊ...
लेहरी हु बाबा हीरा मोती न मांगू,
जगह दे चरना में कुछ भी न मांगू,
लिख वा वे तू ही तेरी ही किरपा है गाऊ,
तू भी न सुने तो कौने सुनाऊ,,
कठै जाऊ...