दादी जी थारो झुंझनू दरबार,
भगतो की आह हर गम गूंजे थारी जय जय कार,
दादी जी थारो झुंझनू दरबार,
बड़े बड़े यहाँ सेठ है आते,
हाथ जोड़ तेरे शीश झुकाते,
अप्रम पार तेरी माया है हर कोई करे पुकार,
दादी जी थारो झुंझनू दरबार,
जो भी तेरे दर पे आया,
कर दी है अंचल की छाया,
आशीर्वाद जिसे मिल जाता खुश रहे घर बार,
दादी जी थारो झुंझनू दरबार,
सुनील शर्मा धींगड़ीयाँ रट ता तेरे नाम की माला जपता,
दीनश शेखावत सब को कहता करती नैया पार,
दादी जी थारो झुंझनू दरबार,