दर बदर ठोकरे खा के दर जो तेरे आते है,
सिर पे खुशीओ का बाँध सेहरा घर को जाते है,
तेरे दर पे भुजे चिराग जगमगाते है,
सिर पे खुशीओ का बाँध सेहरा घर को जाते है,
दाने दाने को जो तरस ते थे अब वो महिमा तेरी सुनाते है,
कैसे बदले है पल में दिन उनके किसा सब को वो अब बताते है,
श्याम चरणों में अपनी मैं को मिटाते है,
सिर पे खुशीओ का बाँध सेहरा घर को जाते है,
श्याम किरपा अगर हो जीवन में,
सुखी रोटी में स्वाद आता है,
जो नजर फेर ले मेरा बाबा भरे दिन में अँधेरा छाटा है,
एक ही आसरा जो शयाम को बनाते है,
सिर पे खुशीओ का बाँध सेहरा घर को जाते है,
क्यों तू मन को निरास करता है,
दुनिया की अदालतों से डरता है,
राजे माहराजे ललित मानते है,
तू क्यों न भरोसा इन पे करता है,
आखिरी फैसला तो बाबा ही सुनाते है,
सिर पे खुशीओ का बाँध सेहरा घर को जाते है,