जब तक फागुन मेला तेरा आता नहीं,
हाथो में निशान मेरे लहराता नहीं है,
न चैन मुझे नींद है आती तेरी यादे बड़ा तड़पाती,
यु तो हर ग्यारस पे मैं आता हु यु भी चाहु बाबा तुमसे पाता हु,
पर फागण में एक ही बात निराली है ग्यारस और बारस को होली दिवाली है,
इस दिन जैसा प्यार लुटाता नहीं है किरपा वैसी पुरे साल बरसाता नहीं है,
न चैन मुझे नींद है आती तेरी यादे बड़ा तड़पाती,
चार दिनों तक तेरे संग रहना कुछ कहना और कुछ सुनना,
हर पल बस तेरा ही मैं दीदार करू,इसी लिए फागण का मैं इन्तजार करू,
हर फागण पे तू चंग पे नचाता नहीं,
यो दिल मेरा यु ललचाता नहीं है,
न चैन मुझे नींद है आती तेरी यादे बड़ा तड़पाती,
चाहे तू पुरे साल भुला न भुला पर फागण का बाबा टूटे न सिलसला,
अजंलि की भाव अंजलि तू सुन ले न प्रभु,
श्याम कहे इतनी किरपा कर देना प्रभु,
पर भर भी बेटे को तू भुलाता नहीं,तेरे जैसे कोई लाड लड़ाता नहीं,
न चैन मुझे नींद है आती तेरी यादे बड़ा तड़पाती,