भले कुछ और मुझे तू देना न देना,
मगर इतनी किरपा तेरी मुझमे करना,
खर्चा मैं घर का चलाता रहू,
जब तू मुझे भुलाये खाटू आता रहू,
दुनिया की नजरो में ये घर मेरा है,
वो क्या जाने दिया हुआ सब तेरा है,
दो रोटी इजत की सदा देते रहना,
मगर इतनी किरपा तेरी मुझमे करना,
खर्चा मैं घर का चलाता रहू,
जब तू मुझे भुलाये खाटू आता रहू,
जब जब बाबा तुझसे मिलना चाहू मैं,
दोडा दोडा खाटू नगरी आऊ मैं,
विव्स्था एसी तो मेरी करते रहना,
मगर इतनी किरपा तेरी मुझमे करना,
खर्चा मैं घर का चलाता रहू,
जब तू मुझे भुलाये खाटू आता रहू,
दोलत दे या न दे तेरी मर्जी है,
पर सोनू राजू की बस ये अर्जी है,
कभी न खोऊ मैं इज्जत का गहना,
मगर इतनी किरपा तेरी मुझमे करना,
खर्चा मैं घर का चलाता रहू,
जब तू मुझे भुलाये खाटू आता रहू,