आयो आयो फागुन रा मेलो आयो,
बाबा रो हेलो आयो है रंगी ली फुहार जी,
थारा टाबरिया भी आवन ने त्यार जी,
पावन बड़ो है यो फागुन रो मेलो,
मेला मैं में आवा जी प्रेम को चूरमो श्रद्धा को लड्डू बाबा ने भोग लगवा जी,
जावा सारे मिल कर जावा जीवन सफल बनावा,
पावा पावा स्व्रगा सा सुख पावा निशान मैं उठावा हुकम सरकार जी ,
थारा टाबरिया भी आवन ने त्यार जी,
लाल गुलाभी नीला और पीला रंगा मैनो मैं जंग हुई,
इस जंग में माहरी खाटू नगरी देखो तो सतरंग हुई,
भर पिचकारी इक दूजे ने मारे सब नर नारी,
जावा जावा मैं भी जल्दी जावा बाबा ने रंग लगावा,
ना बीते यो त्यौहार जी,
थारा टाबरिया भी आवन ने त्यार जी,
फुला दी होली रंगा दी टोली जो हॉवे दरबार में,
ढूंढ के देखो सारे जगत में हॉवे न दूजी संसार में,
बाबो सबको पालनहारों भक्त हितकारो,
पूजा मित्तल ने थारो सहारो मेरी नाइयाँ पार उतरो थे मारा पटबार जी,
थारा टाबरिया भी आवन ने त्यार जी,