हाथ फड़के कहन्दा सावरिया कल तेरी गली दे विच आना,
तुहियो कोरी बची रही कल तैनू रंग लगाना,
ब्रिज मंडल विच आके फिर तू होली तो शरमावे,
सरिया सखिया होली खेडन तू क्यु लुकदी जावे,
भरम भरम तेरा परे हटा के,अपने नाल खिड़ाना,
हाथ.........
मैं ता लाजो मारदी जावा,हाथ छुड़ावा,
कोई पेश ना चल्ले मेरी,कुछ वी बोल ना पावा,
आन्दे जांदे वेखन सारे बने ना कोई बहाना,
हाथ.........
मैनू कहन्दा सुन मेरी सज्नी फागुन दे रूत आई,
ग्वाले बाले नाल ले आके देवा धूम मचाई,
फिर नैना दे तीर चला के,कर दिता मस्ताना,
हाथ..........