साई दर न मिला

साईं दर न मिला सारी दुनिया मिले भी तो कया है,

तेरे चरणों की रज मुझको मिल न स्की,
प्यास तेरे दर्श की भी भुज न स्की,
मेरा सब कुछ लुटा तू मालिक बने भी तो क्या है,
साईं दर न मिला............

मेरे जीवन का कोई सहारा न था,
जो चमका दे जीवन वो तारा न था,
जो उजाला न दे ऐसा दीपक जले भी तो क्या है,
साईं दर न मिला .......

भाग से टूट कर फूल माला बने,
खुश नसीबी है उनकी जो चरणों पड़े,
जो महक न सके एसी भगियाँ खिले भी तो क्या है,
साईं दर न मिला .

मेरी जीबया नाम गाती रही,
भाव भक्ति से तुझको भुलाती रहे,
तेरे ध्यान बिना मेरी सांसे चले भी तो क्या है,
साईं दर न मिला ............
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