जाऊ दर छोड़ कर मैं कहा अम्बे माँ अम्बे माँ,
तेरे चरणों में सारा जहां अम्बे माँ अम्बे माँ,
सभी कहते है माँ चाँद तारो में है,
मैं ये कहता हु माँ गम के मारो में,
ये हकीकत है माँ अपने प्यारो में,
तुझे देखु यहाँ और वहा अम्बे माँ अम्बे माँ,
तेरे दर से मुरादे सभी को मिली और खुशियों की कलियाँ है दिल की खिली,
तेरे दर पे ही अकबर का सिर झुक गया,
ये ज़मीन रुक गई आसमा झुक गया,
तेरे दर जैसा दर है कहा अम्बे माँ अम्बे माँ,
आये दमन फैलाये तेरे पर खड़े,
तेरा गुण गान गा कर माँ आगे बड़े,
इस दास की रक्षा तू करना सदा,
ना मायूस करना न होना जुदा देदे सरगम का सवर सादना,
अम्बे माँ अम्बे माँ,