या तो दर्शन देने मईया रोज मेरे घर आना,
या तो अपने मंदिर में मुझे इक कोना दिलवाना,
मैंने जब से होश सम्बाला मईया तुझको धया,
कुल देवी तुझको माना तेरी पूजा करते आया,
तूने मान लिया मुझे अपना घर आकर बतलाना,
या तो अपने मंदिर में मुझे इक कोना दिलवाना,
अभिलाषा है माँ मेरी से बाते भी कर पाउ,
तेरा पूजन वंधन कर नित तेरे चरण दबाऊ,
खुद ही सेवा टहल कराने तुम मेरे घर आना,
या तो अपने मंदिर में मुझे इक कोना दिलवाना,
सोच विचार को छोड़ो मियां अब न देर लगाओ,
पाउ दर्शन चौबीस घंटे ऐसा फेर जमाओ,
आना जाना छोड़ लाल के घर में ही बस जाना,
या तो अपने मंदिर में मुझे इक कोना दिलवाना,