भरती होजा रे सत्संग में थारो भाग खुलेला रे,
जनम मरण को देश परायो मृत्यु वेला रे,
सुंदर काया कंचन थारी छोड़ चलेला रे,
कर पुरसार्थ ज्ञान गरीबी गुरुगम मेला रे,
सत्संग धार हियो मत हारे मौज मिलेला रे,
अमृत सिंधु सुख सागर भरियो प्रेम हिलोला रे,
प्रेम की छमकी मारे रे हंसा मोती चुगेला रे,
लखमी राम म्हाने सतगुरु मिलिया दीन दयाला रे,
हरि राम हरि भक्ति कर ले कारज सरेला रे,
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