क्यों तड़पाता है कन्हियाँ क्यों तड़पाता

क्यों तड़पाता है कन्हियाँ क्यों तड़पाता है,
दो बाते करले श्याम मुझे क्यों तड़पाता है,

जन्मो का प्यासा हु मेरी प्यास भुजा दे श्याम,
मैं राह भटक गया हु मुझे राह दिखा दे श्याम,
बेदर्द ज़माना है मुझे बहुत रुलाता है,
क्यों तड़पाता है कन्हियाँ क्यों तड़पाता है,

तेरी मूरत ना बोले सुन ने को तरस ता हु,
तुझसे बाते करने को दिन रात तड़पता हु,
मुझे चैन न इक पल का तू आराम से सोता है ,
क्यों तड़पाता है कन्हियाँ क्यों तड़पाता है,

मेरे सांसो की माला कही भिखर न जाये श्याम,
इस गम के सागर में कही खो न जाये श्याम,
अब चहल दीवाने को बस तेरा भरोसा है,
क्यों तड़पाता है कन्हियाँ क्यों तड़पाता है,
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