भगतो के प्यारे ओ रास रचियाँ,
मेरी और नजर तो डालो मेरे ओ कन्हियाँ,
वृन्दावन की गलियों में रास रचाते हो,
प्यारी प्यारी गोपियों को तुम ही नचाते हो,
लाज रखो नंद लाला बंसी बजाइयाँ,
मेरी और नजर तो डालो मेरे ओ कन्हियाँ,
मोर मुकट प्यारा सब के मन को भाता है,
छुप कर माखन खाना तेरा सब को लुभाता है,
सँवारे सलोने मेरे नाग नथियाँ,
मेरी और नजर तो डालो मेरे ओ कन्हियाँ,
मोतियों की माला तेरे रूप को सजाती है,
बांसुरी की धुन तेरी याद दिलाती है,
तभी हो राधा के तुम चैन चुराइयाँ,
मेरी और नजर तो डालो मेरे ओ कन्हियाँ,
विनती सुनो जी विकास सरदाना की,
मोहन सूखे के भण्डार भर लाना जी,
अंगना पधारो मेरे गौ के चरियां मेरी और नजर तो डालो मेरे ओ कन्हियाँ,
मेरी और नजर तो डालो मेरे ओ कन्हियाँ,