इक हाथ कांडी इक हाथ गुनियाँ दुनिया ले रोजगार सी चुनियाँ,
जात पात दा फर्क कोई न सब नु कंडे,
बाबा विश्कर्मा जी कड़े शिल्प कला दे झंडे,
अर्श तो भी फूल बरसौंदे देवी देवते सारे,
धरती अम्बर सिरजन वाले मेरे प्रभु प्यारे,
शिव कला तू सब नु दिति दिति बिन मंगे,
बाबा विश्कर्मा जी कड़े शिल्प कला दे झंडे,
किदा चल दियां मोटर गाड़ियां किदा उड़न खटोले,
जिहने देव ग्यानी सारे दर तेरे दे गोले,
किदा दिन ते रात नु मिनियाँ किदा तारे ठंडे,
बाबा विश्कर्मा जी कड़े शिल्प कला दे झंडे,
ऐसी मेहर करो मेरे दाता हस्ती भूल न जावा,
कण कण दे विच वासा तेरा कौन भले कौन मंदे,
बाबा विश्कर्मा जी कड़े शिल्प कला दे झंडे,