पर्वत चीर के निकली माँ ज्वाला करिश्मा कैसा कर डाला,
फैला ज्योति का जग में उजाला करिश्मा कैसा कर डाला,
करिश्मा कैसा कर डाला
मैया ने महिमा ये सब को दिखाई,
पर्वत से मैया की ज्योत लहराई
माँ का चमत्कार सब से निराला,
पर्वत चीर के निकली माँ ज्वाला करिश्मा कैसा कर डाला,
अभिमानी राजा ने छतर चढ़ाया,
उसके उपहार को माँ ने ठुकराया,
सोने के ताज पल में कर दियां काला,
पर्वत चीर के निकली माँ ज्वाला करिश्मा कैसा कर डाला,
कांगड़े माँ की शान निराली,
जो भी सवाली आये लौटे न खाली,
भक्तो के संकट को हर दम है टाला,
पर्वत चीर के निकली माँ ज्वाला करिश्मा कैसा कर डाला,
हर दम लगे यहाँ भगतो का ता ता मन की मुरादे यहाँ हर कोई पाता,
नवरातो में लागे यहाँ मेला अलबेला,
पर्वत चीर के निकली माँ ज्वाला करिश्मा कैसा कर डाला,