मेरे श्याम हे घनश्याम ब्रिज में आया है तूफ़ान,
पानी ही पानी चारो और फैला मुस्किल में है जान,
तू है जग का रचिया सबकी पार लगा दे नियाँ,
इन्द्र देव गुस्साए है जल ही जल बरसाए है,
पल भर में ब्रिज नगरी में परलय ले अये है,
तराही तराही चौ और मची है हम सभी है परशान,
तू है जग का रचिया सबकी पार लगा दे नियाँ,
मुश्किल में ब्रिज नगरी है जल में डूबी सगरी है,
हम पर भी प्रभु कर किरपा तू तो देया की गगरी है,
हमने सुना है दरबार पे तेरे बनते बिगड़े कम,
तू है जग का रचिया सबकी पार लगा दे नियाँ,
इतनी जो सुनी मन मोहन ऊँगली पर लिया गोवर्धन,
तार दिया ब्रिज बसियो को जय हो तेरी भगवान,
इंदर देव भी लजित हो के करते तेरा गुणगान,
तू है जग का रचिया सबकी पार लगा दे नियाँ,
मेरे श्याम हे घनश्याम ब्रिज में आया है तूफ़ान,
पानी ही पानी चारो और फैला मुस्किल में है जान,
तू है जग का रचिया सबकी पार लगा दे नियाँ,