तेरे दर पे आके मुझे क्या मिला है,
ये मैं जानता हु या तू जानता है
ज़माने की चल घट बड़ी बे तुकी है,
जिधर देख ता हु मैं उधर सब दुखी है,
गिर के दुखो में भी मैं क्यों सुखी हु,
ये मैं जानता हु या तू जानता है
चेहरे पे चेहरे सभी है लगाये,
चोट गेहरो से जयदा अपनों से खाये,
मुझे किस से कैसा शिकवा गिला है,
ये मैं जानता हु या तू जानता है
अकेला समज कर सताया जहां ने,
कदम दर दर मुझको रुलाया जहां ने.
कैसे हसी का ये कमल ये खिला है,
ये मैं जानता हु या तू जानता है
डुभे गई नैया कहती थी दुनिया,
पतन की उमीदो में रहती थी दुनिया,
नैया को कैसे किनारा मिला है,
ये मैं जानता हु या तू जानता है
अंदर घना था न दिखती थी राहे,
तूने समबाला मुझको फैला के बाहे,
नैनो को संजू कैसे उजाला मिला है,
ये मैं जानता हु या तू जानता है