तेरी किरपा से ज़िंदगी कट रे मौज में,
काम भी रुकता को न धेला न गोज में,
साइकल तक न थी घर में आज होरी से मेरे गाडी,
जब से शरण में आया किस्मत होगी ठाठी,
हांडू था ढ़ाके खाता धंदे की खोज में,
काम भी रुकता को न धेला न गोज में,
मेरे पे अहसान सँवारे करे कसुते भारी,
नहीं किसी ते लुक्मा बाबा जाने दुनिया सारी,
जयदा किरपा मत करिये मर जाएगा भोज में,
काम भी रुकता को न धेला न गोज में,
भीमसैन तेरा नाम की माला रटता शाम सवेरी,
खाटू नगरी आये पाछे जिंगदी बन गई मेरी,
याद करू सु तने पग पग पे रोज मैं,
काम भी रुकता को न धेला न गोज में,