गणपति जी का ध्यान धर ले

भक्ति रस का तू रस पान कर ले
चार दिन की जिन्दगी है ध्यान धर ले
ध्यान धर ले रे तू ध्यान धर ले
भक्ति रस का तू रस पान कर ले
चार दिन की जिन्दगी है...

देवों में देव हैं गणपति जी प्रथम देवा
इनकी सेवा से पाएगा तू मेवा
प्रथम पूजन इनका ए इंसान कर ले
भक्ति रस का तू रस पान कर ले
चार दिन की जिन्दगी है ध्यान धर ले
ध्यान धर ले रे तू ध्यान धर ले
भक्ति रस का तू रस पान कर ले
चार दिन की जिन्दगी है...

विघ्नहर्ता हैं तेरे सारे विघ्न हरेंगे
मनोकामनाएं सारी तेरी पूरी करेंगें
इनके चरणों में सारा तू जहान कर ले
भक्ति रस का तू रस पान कर ले
चार दिन की जिन्दगी है ध्यान धर ले
ध्यान धर ले रे तू ध्यान धर ले
भक्ति रस का तू रस पान कर ले
चार दिन की जिन्दगी है ....

इनकी भक्ति कभी विफल ना जाए
राह भले दुर्गम हो सरल बनाए
बात सुन राजीव की तू कान धर ले
भक्ति रस का तू रस पान कर ले
चार दिन की जिन्दगी है ध्यान धर ले
ध्यान धर ले रे तू ध्यान धर ले
भक्ति रस का तू रस पान कर ले
चार दिन की जिन्दगी है...

      ©राजीव त्यागी
नजफगढ़ नई दिल्ली

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