भांग रगड़ रगड़ मेरी दुखे रे कलहाई,

भर भर लौटा भांग का पी वे है दबा के,
अरे भूतो की टोली संग रखे है बिठा के,
तेरे चोचलो से होगी परेशान भोले मैं,
सारा सारा दिन रहे नशे में झूमता ,
भांग रगड़ रगड़ मेरी दुखे रे कलहाई,
मेरा भोला कभी न मेरा हाल पूछता

फ़िक्र कोई न है व्यगं की फ़िक्र करे दुनिया भर की,
दर्द समज न आवे घरवाली का रूप जरा देखो इहो भोले भंडारी का,
रूठ गई भोले तो मानु गी न मैं फिर फिरे गा सवाल पे सवाल पूछता,
भांग रगड़ रगड़ मेरी दुखे रे क
लहाई,
मेरा भोला कभी न मेरा हाल पूछता

चित और पट दोनो है मेरे पाले में,
दोनों छोरे संग में भुलाये पीहर वालो ने,
रगड़ रगड़ कौन भांग पिलावे गा देख लुंगी मैं भी जरा डमरू वाले ने,
रूठ गई भोले तो मानु गी न मैं फिर फिरे गा सवाल पे सवाल पूछता,
भांग रगड़ रगड़ मेरी दुखे रे कालहाई,
मेरा भोला कभी न मेरा हाल पूछता
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