बहुत लगने लगा है डर शम्भू

बहुत लगने लगा है डर,
दुनिया से भोले नाथ शम्भू,
बुरा हुआ बहुत जमाना,
करो कुछ भोले नाथ शम्भू....

अपनेपन का भाव रहा नहीं मन में,
जल रहा है आदमी एक दूजे से जलन में,
खाक हुए,हुए सब अनाथ शम्भू,
बुरा हुआ बहुत जमाना,
करो कुछ भोले नाथ शम्भू,
बहुत लगने लगा है डर....

धी बेटियों पर बहुत हो रहे हैं अत्याचार,
गुम वासनाओं में हो रहे हैं संस्कार,
मर्यादा मान का छोड़ रहे सब साथ शम्भू,
बुरा हुआ बहुत जमाना,
करो कुछ भोले नाथ शम्भू,
बहुत लगने लगा है डर....

भूला राजीव सब पूजा पाठ भक्ति विनती,
कोड़ी कोड़ी जोड़ने को याद रही उसे गिनती,
लोभ लालच की हो रही मन पे घात शम्भू,
बुरा हुआ बहुत जमाना,
करो कुछ भोले नाथ शम्भू,
बहुत लगने लगा है डर....

त्राहि माम का चारों ओर उठ रहा शोर है,
घिरा मन अंधियारे में,पाप चहुँ ओर है,
पछता रहे हैं सब कीजिए हमें माफ शम्भू,
बुरा हुआ बहुत जमाना,
करो कुछ भोले नाथ शम्भू,
बहुत लगने लगा है डर....

©राजीव त्यागी नजफगढ़
 
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