मैं जाऊ मेला में हरिद्वार नाथ तू भंग गोटन की ना कहा,
माहरे जोगी वाले ठाठ करेगी क्या मेला में जा के,
सब सखी सहेली जावे और हस हस के बतलावे,
बात मेरी मान मेरे भरतार नाथ तू भंग गोटन की ना कहा
मैं जाऊ मेला में हरिद्वार...
मेला में रैलम पेला मेरी गोरा लगे धकेला,
खड़ी फिर देखे मेरी बात करेगी क्या मेला में जाके,
माहरे जोगी वाले ठाठ करेगी क्या मेला में जा के,
जो न मानो बात हमारी ना भंगियाँ घुटे तुम्हारी,
तू घोटी भोले अपने हाथ नाथ तू भांग घोटन की आखे,
मैं जाऊ मेला में हरिद्वार...
करे नंदी की असवारी चलु मेला चाले प्यारी,
तू गणपत ने लेले साथ खावे चाट पकोड़ी जाके,
माहरे जोगी वाले ठाठ