बैठा जो खाटू में उस से कहना है धरा में तेरे ही हम को बेहना है,
सारी उम्र तेरे संग रहना है,
बैठा जो खाटू में उस से कहना है
बाबा मेरी आँखों से हो न तू दूर छाया रहे नैनो में तेरा ही सरूर,
मेरा श्रृंगार तू ही गहना है धरा में तेरे ही हम को बेहना है,
सारी उम्र तेरे संग रहना है,
बैठा जो खाटू में उस से कहना है
भूखा जो सुलाये गा तो सो जाऊ गा मैं,
जैसे भी तू राखेगा रह जाउगा मैं,
सेवा में तेरे ही डुभे रहना है धरा में तेरे ही हम को बेहना है,
सारी उम्र तेरे संग रहना है,
बैठा जो खाटू में उस से कहना है
जैसा भी हु तेरा तू मेरा चित चोर,
लेहरी मैंने बाँधी है तुझसे बाबा डोर,
तेरी प्रतीक्षा में खोये नैना है धरा में तेरे ही हम को बेहना है,
सारी उम्र तेरे संग रहना है,
बैठा जो खाटू में उस से कहना है