ऐसी जालम बजाई मुरलिया
मेरी यमुना बह गई गागरीया
सुध बुध खो गई बावरी हो गई
कहा हो गई पाओ की पायलीया
मेरी.......
कभी भागु इधर कभी भागु उधर
मैं तो भुल गई घर की डगरिया
मेरी........
श्याम आजाओ ना अब तडपाओ ना
ऐसी तडपु मैं जल बिन मछरिया
मेरी........
श्याम आये वहा बैठी राधा जहा
मिल के रास रचाए सावरिया
मेरी.........