ना जाने किस कसूर की दी है मुझे सज़ा

ना जाने किस कसूर की दी है मुझे सज़ा,
जिंदगी यही है तो है जिंदगी में क्या,
बदल अगर गरज रहे बिजली से डर है क्या,
जिंदगी यही है तो है जिंदगी में क्या,

आज ये जीवन मेरा बाबा दुःख में गिरा हुआ है,
कैसे बताओ बाबा तुह्मसे कुछ न छुपा हुआ है,
रेत के जैसी मेरी जिंगदी यही फिसल रही है,
दुःख ही दुःख है दमन में खुशियों की बहुत कमी है,
मेरे मालिक इस कसूर की दी है मुझे सजा,
जिंदगी यही है तो है जिंदगी में क्या,

रोती रही है आँखे मेरी पर ओरो को हसाया,
मैं क्या जानू उनके दिल में किता पाप समाया,
आज ये जाना अपने पराये कितने बदल गए है,
ना जाने अपने जीवन में कितने सितम सहे है,
मेरे बाबा किस कसूर की दी है मुझे सजा,
जिंदगी यही है तो है जिंदगी में क्या,

मेरे इस जीवन की बाबा बस इतनी सी कहानी,
आँखों के आंसू नहीं रुकते ये कैसी जिंदगी,
जिसको लहू से सींचा वो परिवार उजड़ रहा है,
माला टूट रही है तिनका तिनका बिखर रहा है,
मेरे बाबा किस कसूर की दी है मुझे सजा,
जिंदगी यही है तो है जिंदगी में क्या,

जिनके लिए जीती है दुनिया वो ही बिखर रहे है,
मेरी इन आँखों के सपने इक इक टूट रहे है,
इतने बड़े जहां में बाबा तुमसे आस बची है ,
राजेश महांवार की तो बाबा दुनिया तुमपे टिकी है,
मेरे बाबा किस कसूर की दी है मुझे सजा,
जिंदगी यही है तो है जिंदगी में क्या,
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