अब न प्यारे वक़्त है आराम का,
आ गया लो मेला मेरे श्याम का,
श्याम धवजा जो लहराई,
प्रेमी सारे झूम उठे,
श्याम तरंग ऐसी छाई सब खाटू की और चले,
मौसम है ये चंग और धमाल का,
आ गया लो मेला मेरे श्याम का,
ठंडी ठंडी पवन चली फागण की रुत आयी है,
लगता है के बाबुल के घर से चिठ्ठी आई है,
आता है सपना भी अब तो खाटू धाम का,
आ गया लो मेला मेरे श्याम का,
मेले पर मेरा सांवरिया जी भर प्रेम लुटाता है,
लूट लो जितना जी चाहे ये मौका कब आता है,
चढ़ने लगा है राज नशा श्याम नाम का,
आ गया लो मेला मेरे श्याम का,