बड़े मंगल को मंगल करते तेरी किरपा निराली है,
मैं तेरे दर पे आया हु झोली खाली भरने दो,
मैं मंदिर तेरे आता हु,
लड्डू का भोग लगता हु,
भंडारा मैं भी करवाऊ ये ही आस लगाई है,
मैं तेरे दर पे आया हु झोली खाली भरने दो,
हम सब के दिल में रहते हो,
दुःख सुख की बाते करते हो,
तेरे ही हवाले हनुमत मेरा ये परिवार है,
मैं तेरे दर पे आया हु झोली खाली भरने दो,