राम नगरीया राम की,
और बसे गंग के तीर,
अटल राज महाराज को चौकी हनुमत वीर
चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़,
तुलसीदास चन्दन घिसे तिलक करे रघुवीर
हे पुरुषोत्तम श्रीराम करूणानिधान भगवान,
तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम
जानकीनाथ लखन के भैया केवटिया तुम पार लगइया,
केवट की तुम तारी नैया तारो प्रभुजी मेरी नैया,
दशरथ नंदन राम दशरथ नंदन राम,
करूणानिधान भगवान तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम,
तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम...
पिता वचन वनवास सिधारे गिद्धराज निज धाम पधारे,
जनकराज संताप मिटाए चारों भैया ब्याह के आए,
जानकी वल्लभ राम जानकी वल्लभ राम,
करूणानिधान भगवान तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम,
तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम...
जब सुग्रीव शरण में आया अभयदान रघुवर से पाया,
तुलसी के प्रिय राम तुलसी के प्रिय राम,
करूणानिधान भगवान तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम,
तुम्हे कोटि कोटि प्रणाम.....