इक छलियाँ मुझे छल गया,
मन मेरा उस पे मचल गया,
जाने कैसा जादू उस ने मुझपे आज चलाया है,
उस मुरली वाले पगले ने नैन का चैन चुराया है,
यमुना के पीर पानी भरण को सखियों के संग मैं जाती हु,
जैसे ही बंसी धुन सुन ती हु खड़ी की खड़ी रह जाती हु,
इस मन के मंदिर में मैंने उसका रूप सजाया है,
उस मुरली वाले पगले ने नैन का चैन चुराया है,
नटखट छोटा सा नंदलाला जिसका रूप निराला है,
उसने ही मुझको पागल बनाया ऐसी नजर मुझपर डाला है,
वो ही श्याम सांवरिया मेरे मन को भाया है,
उस मुरली वाले पगले ने नैन का चैन चुराया है,