साई रस की घुट मनवा पी ले रे

साई रस की घुट मनवा पी ले रे,
तेरी जिंदगी युही तर जायेगी,
मल्सापति की तर गई कात्या की भी तर गई,
लक्ष्मी माई को नो सिक्के नो नहीं फिर मिले,
साई रस की घुट मनवा पी ले रे

सूंदर काया तू देख लुभाया तू गरब करे तन का,
जल गई देह बिखर गई काय जो माला मन का,
तुम ही तारोगे पार उतारो गे,
किसी और के दर न हम जाए,
साई रस की घुट मनवा पी ले रे,

तुमने बांटी किसी को भभूति किसी को तुम ने तोफा दियां,
किस्मत वालो से ही तुम्हने अपना चरण छुवाया.
हम वेचारे है गम के मारे है,
हम शिरडी गांव में आये हुए है
साई रस की घुट मनवा पी ले रे,

सुनलो साई गरीब की दुहाई गिरा हु माया जालो में,
झूठी दुनिया झूठे रिश्ते झूठे जन जालो में मन अभिलाषी है भोगभिलाषी है,
साई भक्ति दो मन रम जाए,
साई रस की घुट मनवा पी ले रे,

साई तेरे है लाखो दीवाने सुनाने तुझे आये है,
भाग किसी का फूटा कोई दुनिया से है रूठा,
शिरडी आये है आशा लाये है,
साई दे दर्शन गम छट जाए ,
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