जय जय श्याम राधे श्याम ॥
क्या क्या कहूँ मैं कृष्णा कन्हैया का बलपान,
ऐसा था बसुरी बजाईया का बलपान,
क्या क्या कहूँ मैं कृष्णा कन्हैया का बलपान,
क्या क्या कहूँ.....
उन्न को तो बलपान से ना था कम कुच्छ ज़रा,
संसार की जो रीत थी उसको रखा बजा,
मालिक वो आप ही थे बलपन से क्या,
बलपन वो जवानी बुडापा सब एक था,
ऐसा था बसुरी के बजाईया का बलपान,
क्या क्या कहूँ मैं कृष्णा कन्हैया का बलपान,
ऐसा था बसुरी बजाईया का बलपान,
क्या क्या कहूँ,
जय जय श्याम राधे श्याम॥
बेल हो ब्रज राज जो दुनिया में आ गये,
लीका के लाख रंग तमाशे दिखा गये,
इस बलपन के रूप में कितनों को भा गये,
एक ये भी लहर थी जो जहा को दिखा गये,
ऐसा था बसुरी के बजाईया का बलपान,
क्या क्या कहूँ मैं कृष्णा कन्हैया का बलपान,
ऐसा था बसुरी बजाईया का बलपान,
क्या क्या कहूँ
सब मिलके यारो कृष्णा मुरारी की बोलो जाई,
गोविंद च्चाइल कुंज बिहारी की बोलो जाई,
बोलो बनके बिहारी लाल की जाई,
सब मिलके यारो कृष्णा मुरारी की बोलो जाई,
जाई जाई श्याम राधे शयं,
गोविंद च्चाइल कुंज बिहारी की बोलो जाई,
जाई जाई श्याम राधे शयं,
दाढ़ी चोर गोपी नाथ बिहारी की बोलो जाई,
जाई जाई श्याम राधे शयं,
तुमही ना वियर कृष्णा मुरारी की बोलो जाई,
जाई जाई श्याम राधे शयं,
ऐसा था बसुरी के बजाईया का बलपान,
क्या क्या कहूँ मैं कृष्णा कन्हैया का बलपान,
ऐसा था बसुरी के बजाईया का बलपान
क्या क्या कहूँ
जय जय श्याम राधे श्याम॥